तबादले के बाद भी आबंटित आवास से नहीं छूटा मोह


मुंगेलीजिले से स्थानांतरित हो चुके अधिकारी- महीनों बीतने के बाद भी आवास खाली नहीं किए हैं। अधिकारी नियम विरुद्ध आवास में रह रहे हैं। नियमतः ऐसे लोगों से आवास खाली कराने की फुर्सत जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं है, जिससे आवास पाने की प्रतीक्षा कर रहे अधिकारी  बेचैन हैं। स्थानांतरित हुए मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजेन्द्र पात्रे को  1 साल पूरा होने जा रहा है। 22 अक्टूबर 2019 को नगर पंचायत नवागढ़,जिला बेमेतरा  के लिए रिलीव कर दिए गए हैं। लेकिन अधिकारी का आबंटित आवास से अब तक मोह खत्म नहीं हुआ है। अधिकारी ने अब तक आवंटन रद्द नहीं कराया है। अधिकारी का ताला अभी भी इस बंगले पर लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार शासकीय आवास आवंटन के नियमानुसार सेवानिवृत्त, स्थानांतरण होने के दो माह तक संबंधित अधिकारी-कर्मचारी आवास में रह सकता है। विशेष परिस्थिति में वैध कारणों पर कलेक्टर की अनुमति से दो माह की अवधि अतिरिक्त बढ़ाई जा सकती है। यानि विशेष अनुमति पर तबादले या सेवानिवृत्ति की तारीख से 4 महीने तक आवास खाली करने की समयावधि मिल सकती है।राजेन्द्र पात्रे,मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने अब तक आवास खाली नहीं किया है। अतिरिक्त समय के लिए कोई आवेदन भी नहीं किया है। 5 अक्टूबर को कार्यालय संयुक्त संचालक,नगरीय प्रशासन एवं विकास,बिलासपुर ने राजेन्द्र पात्रे को आदेशो का अवहेलना करने की स्पष्टी करण के लिए 7 दिवस का समय दिए थे अभी तक कोई जवाब नही आया इससे यही साबित होता है कि तबादले के बाद भी आबंटित आवास से नहीं छूटा मोह।राज्य शासन की नियमो की उड़ाई जा रही धज्जियाँ नही है कोई डर  बेख़ौफ रह रहे आवास में,
तो वही नया पदस्थ मुख्य नगरपालिका अधिकारी पी एस सोम मजबूर है वही के एक बगल मकान में रहने को। ऐसे में अब देखने वाली होगी कि ऐसे अधिकारी पर क्या कार्यवाही की जाती है।


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