मूलभूत आवश्यकताओं और विकास कार्यों के लिए शासन से जारी लाखों का बजट किया गबन, ऐसे में कैसे होगा ग्रामीण विकास....
कोरबा से सोनू की खास ख़बर
कोरबा /पाली भारत के संविधान में पंचायती राज की व्यवस्था दी गई है। इसी के तहत ग्राम पंचायत गठित है। प्रत्येक ग्राम की जनता द्वारा पांच साल के लिए मुखिया चुना जाता है, जो सरपंच कहलाता है। सामान्य रूप से सम्पूर्ण गांव के विकास की जिम्मेदारी उस ग्राम प्रधान के कंधों पर होती है। लेकिन कुछ ग्राम के निर्वाचित मुखिया पंचायत को भ्रष्ट्राचार का अखाड़ा बना लेते है। नवीन पंचायत सगुना के मुखिया ने भी सचिव से सांठगांठ कर बुनियादी व विकास कार्यों के लिए प्राप्त लाखों की राशि पेयजल, मरम्मत कार्य, साफ- सफाई, नाली निर्माण के नाम पर खाते से निकाल लिया और बिना काम कराए सरकारी राशि से जमकर मलाई उड़ाई गई। वहीं संज्ञान में आए भ्रष्ट्राचार मामले के बाद भी संबंधितों ने कार्यवाही के बजाय भ्रष्ट्राचारियों को अभयदान दिया। ऐसे में कार्यवाही नही होने से सरकार की ग्रामीण विकास योजनाएं और नीति विफल साबित हो रही है।
नवीन पंचायत सगुना में ग्राम विकास के लिए ग्रहण बने सरपंच- सचिव... मूलभूत आवश्यकताओं और विकास कार्यों के लिए शासन से जारी लाखों का बजट किया गबन, ऐसे में कैसे होगा ग्रामीण विकास*
पंचायतों के भ्रष्ट्राचार जनपद अधिकारियों के कमाई का जरिया बना.
जिले के पाली जनपद अंतर्गत नवीन ग्राम पंचायत सगुना, जहां की जनता ने भरोसा कर भवन सिंह पैकरा को अपने पंचायत का मुखिया चुना। किंतु सरपंच ने सचिव से मिलीभगत कर पंचायत मद में जारी लाखों का बजट इस कदर निपटाया कि ग्राम विकास के पहियों को ग्रहण लग गया। सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाओं जैसे- सवास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, बिजली, सड़क, नाली व अन्य विकास/निर्माण कार्यों के लिए मूलभूत, 14वां, 15वां वित्त के माध्यम से लाखों की राशि सीधे पंचायत के खाते में दी गई। वहीं सरपंच- सचिव ने भी ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने सहित विकास कार्यों के लिए बकायदा कार्ययोजना तैयार की और लाखों रुपए आहरण कर लिया पर अधिकतर कार्य कागजों में दिखाया गया, गांव की धरातल पर नाम मात्र का काम कराया गया। जनपद अधिकारियों के नाक नीचे किये गए वित्त अनियमितता पर कोई कार्यवाही नही होने से सरपंच- सचिव के हौसले बुलंद है।
*राशि आहरण होने के बाद भी मौके पर नही हुए यह कार्य*
यहां सरपंच सचिव द्वारा कार्यों का प्रस्ताव बनाकर मौके पर जो काम नही कराया और राशि आहरण कर ली, उनमे मूलभूत मद से अतिरिक्त कक्ष मरम्मत- 40 हजार, भवन मरम्मत- 35 हजार, ठाड़पखना मुख्यमार्ग में पुलिया मरम्मत- 69 हजार, पंचायत भवन में पुट्टी व साफ सफाई कार्य- 90 हजार। इसी प्रकार 14वें वित्त से आहरित राशि मे ग्राम पंचायत कार्यालय में वायरिंग कार्य- 47 हजार। वहीं 15वें वित्त की राशि से प्राथमिक शाला ठाड़पखना में रनिंग वाटर कार्य- 90 हजार, लक्ष्मण घर के पास पेयजल व्यवस्था- 49 हजार, सगुना प्राथमिक शाला से पुनीराम घर तक नाली निर्माण- 1 लाख 80 हजार व करमसिंह घर से पुलिया तक नाली निर्माण के नाम पर 1 लाख 44 हजार की राशि के आहरण का उल्लेख जियो टैग में है, लेकिन मौके पर उक्त कार्य कराया ही नही गया है और लाखों की राशि फर्जी बिल बाउचर के माध्यम से आहरित कर हजम कर ली गई। भ्रष्ट्राचार के जिस मामले को पूर्व में खबरों के माध्यम से सामने लाते हुए जनपद अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया गया, लेकिन अधिकारियों ने इस गबन के मामले को अनदेखी किया। जिससे ऐसे भ्रष्ट्राचार को बड़े रूप में बढ़ावा मिला और संज्ञान में आए भ्रष्ट्राचार कहीं न कहीं उनके लिए कमाई का जरिया बन गया। लिहाजा भ्रष्ट्र कृत्य को अंजाम देने वाले सरपंच सचिव बेफिक्र होकर बिना किसी कार्यवाही के अपने कारनामे को अंजाम दे रहे है।
नही खुलता पंचायत भवन
देखा गया है कि लाखों के जिस पंचायत भवन का निर्माण सरपंच- सचिव एवं ग्रामीण लोगों के लिए हुआ है। वह भवन औपचारिकता मात्र रह गया है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत में सरपंच- सचिव नही बैठते है और उक्त भवन में अधिकतर ताला लटका रहता है। ऐसे में किसी काम को लेकर उनके घर जाना होता है। जिससे ग्रामीणों को अपना व्यक्तिगत कार्य संपादन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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