सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के माध्यम से ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने के लिए लगातार किया जा रहा प्रयास- कलेक्टर....

मुंगेली  // वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जिले में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के बेहतर क्रियान्वयन के लिए आज जिला कलेक्टोरेट स्थित मनियारी सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में कलेक्टर श्री राहुल देव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरुप सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के माध्यम से ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के पूरे नियम और प्रक्रियाओं को सरलता से समझने व शंकाओं के समाधान के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है।

जिले में बेहतर क्रियान्वयन हेतु एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

 कार्यशाला में कलेक्टर नेे संबंधित अधिकारियों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाने और जिले में इसका बेहतर क्रियान्वयन कर अधिक से अधिक हितग्राहियों को लाभ दिलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन को सुरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। सामुदायिक वन संसाधन के लिए अधिक से अधिक ग्राम सभाओं से प्रस्ताव आना चाहिए। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री चंद्रमोहन सिंह, जिला वनमंडलाधिकारी श्री गणेश राजन, अपर कलेक्टर श्री तीर्थराज अग्रवाल, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री डी. एस. राजपूत मौजूद थे....

 कार्यशाला में फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी संस्था की सुश्री मंजीत कौर बल ने कम्प्यूटर आधारित प्रस्तुतीकरण के माध्यम से सामुदायिक वन संसाधन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु पूरी प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार में एक पारंपरिक गांव के सीमा के भीतर के वन और राजस्व के छोटे बड़े झाड़ के जंगल का अधिकार ग्राम सभा को मिलता है, जिसमें उन्हें इन वन क्षेत्रों की सुरक्षा, सरंक्षण, पुनरुत्पादन, प्रबंधन की भी जिम्मेदारी निभानी होती है। उन्होंने बताया कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार हेतु दावा प्रस्तुत करने के लिए ग्राम सभाएं वन अधिकार समिति का गठन करती है और दावा मिल जाने पर प्रबंधन के लिए वन प्रबंधन समिति का गठन कर सकती है। दावों के लिए गांव के बुजुर्ग, महिलाएं, सभी निवासरत जनजाति के प्रतिनिधि सहित पटवारी, वनरक्षक, पंचायत सचिव परम्परागत सीमा की पहचान करते हैं और सीमावर्ती गांव के साथ जानकारी साझा करते हैं। साथ ही नजरी नक्शा, गांव का निस्तार पत्रक, बुजुर्गों का कथन और सीमावर्ती के गांव के अनापत्ति पत्र लगाए जाते हैं। इसके बाद उपखंड स्तरीय समिति द्वारा सत्यापन करवाया जाता है। सब सही पाए जाने पर जिला स्तरीय समिति को भेजा जाता है। वहां सही पाए जाने पर अधिकार पत्र मिलता है।
 ग्राम सभाओं को प्रक्रियाओं की जानकारी देने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार जागरूकता अभियान का एक कैलेंडर भी तैयार किया गया है। यह अभियान 26 जनवरी 2023 तक चलाया जाएगा। इसके तहत सभी वन आधारित गांवों के ग्राम सभाओं में सामुदायिक वन संसाधन पर चर्चा प्रस्ताव करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें अगस्त में दावों के लिए ग्राम सभा, सितंबर में लोकवाणी, अक्टूबर में ग्राम सभा में प्रस्ताव, नवंबर में राज्य स्थापना दिवस पर कार्यक्रम, दिसंबर में हाट बाजार, जनवरी में ग्राम सभा में विचार आदि के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। कार्यशाला में डिप्टी कलेक्टर श्रीमती पार्वती पटेल, सभी राजस्व अनुविभाग के अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, एसडीओ फॉरेस्ट सहित संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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