कलेक्टर साहब रेत माफिया के आतंक से परेशान आमजन,तथाकथित रूप से सरपंच व राजनीतिक संरक्षण में नियमों को ताक पर रखकर उत्खनन धडल्ले से,कई दफा ग्रामीणों ने दर्ज कराई शिकायत लेकिन हाल जस का तस ....देखिए खास ख़बर

मुंगेली/ जिले तेज तर्रार युवा आईएएस अधिकारी व कलेक्टर ड़ॉ गौरव कुमार सिंह ने में पदभार संभालने के बाद उनके पदस्थापना सें रहवासियों में चाक चौबंद प्रशासनिक व्यवस्था की आशा व रेत माफिया पर अंकुश लगाने में सक्रियता से जुड़ी तमाम आश धीरे धीरे निराशा के भवरजाल की ओर अग्रसर है।

वहीं दूसरी तरफ खाता ना बही रेत माफिया के गुर्गे हो या सफेदपोश रेत खदान संचालन करनें वालें जो कहें वहीं सही वाली पंक्ति हकीकत में मुंगेली जिले के जीवनदायिनी नदियों में तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर मशीनों के माध्यम से रेत खनन व परिवहन बेरोकटोक चल रहा है।



सूत्रों की माने तो आवंटित खदान के अलावा अघोषित तौर पर रेत खदानों से खनन करना बगैर राजनीतिक व प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण बगैर संभव नहीं है।वही इस मुद्दे पर वैसे तो कई दफा स्थानीय रहवासियों द्वारा अलग अलग स्तर पर शिकायत दर्ज कराई है लेकिन उनकी शिकायत पर गंभीरता से लेने की जगह रद्दी की टोकरी में या फिर फाईलों में जांच बहाने दफ्तरो में पड़ा हुआ है।इससे जहां हर दिन लाखों रुपये की राजस्व क्षति सीधे तौर पर शासन को होने के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व सरकार द्वारा  नवीन रेत खनन निती जिस मंशा से शुरू किया गया था उसपर प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता व अप्रत्यक्ष संरक्षण की वजह से नियम कायदों को ताक पर रखकर खनन करनें सें जीवन दायनी नदियों के अस्तित्व व उनके प्राकृतिक बहाव पर सीधे तौर पर असर पड़ रहा है।


इसके वावजूद खनन माफिया पर निगरानी रखने व अंकुश लगाने के लिए जवाबदेह खनिज, राजस्व सहित अन्य महकमों के जवाबदेह अफसर हो या उनके मातहत कर्मीयों का हाल ऐसा हो चला है की माफिया के आगे नत्मस्तक होकर पहरेदारी करने की अप्रत्यक्ष संरक्षण देकर  साझेदार बतौर अपने दफ्तरों में बैठकर कोरमपूर्ती करनें के अलावा कार्यवाही करने से जुड़ी आकड़ों को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर बेरोजगार युवा ट्रैक्टर सहित अन्य छोटे माल वाहक वाहनो के माध्यम से परिवहन कर आजीविका वर्धन करते हैं उनपर कार्यवाही कर अपनी वाहवाही बटोरनें में अफसर जुटे हुए हैं।जबकी रेत माफिया से परेशान स्थानीय लोगों के लिए नासूर घाव की तरह रेत खनन में मशीनरी का उपयोग करने से नदी का प्राकृतिक बहाव प्रभावित होने से करीब दर्जन भर से अधिक गांव में रहने वाले कृषक जो नदी के पानी का उपयोग सिचाई में करनें सें बहुफसली खेती करते है,वर्तमान में उनके समक्ष पानी का बहाव बाधित होने से सिचाई के लिए पानी भरपूर नहीं मिलने से किसानों द्वारा कर्ज सहित जमापूंजी सें खेती करने के बाद अब पानी की उपलब्धता नहीं होने से मानसिक रूप से तनाव के साथ ही उपज प्रभावित होने का डर से सहमे हुए हैं।इसका उदाहरण मुंगेली जिले के  ग्राम पंचायत सल्फा में रेत घाट पर धड़ल्ले से हर दिन मशीनों से रेत खनन व परिवहन कार्य बेरोकटोक चल रहा है।यहां के सरपंच से जब हमारे प्रतिनिधि ने चर्चा किया तो उन्होंने गोलमाल जवाब देकर बताया कि उन्होंने कई दफा रेत खनन नहीं करनें की बातें कही है 



लेकिन मना करने के वावजूद रेत खनन चल रहा है।जब उनसे रेत खनन में स्थानीय ग्रामीणों के आरोप बतौर उनकी संरक्षण भी रेत खनन में होने पर कहा की पंचायत में चल रहे निर्माण कार्यो के लिए जरूरत पड़ने पर रेत का उपयोग पंचायत के कार्यो मे होता है।इस दरम्यान कितना जरूरत है और उसके लिए कितना खनन कराना है इस विषय पर अपना पल्ला झाड़ने वाली तर्ज पर कहा की रेत की जरूरत व अवैध खनन के संबंध में  जानकारी पंचो तथा सचिव को भी है।इसके अलावा रात के समय खनन पर पूर्व में पुलिस थाने को अवगत कराने पर थाना प्रभारी एक ही वाहन उपलब्ध है,उससे गश्ती सहित अन्य कार्यो को किया जाता है


, सूचना पर गश्ती दल को संबंधित स्थल पर भेजा जाएगा । वही खनिज अधिकारी से चर्चा करनें पर उनके द्वारा अलग अलग बहाने से अपनी जवाबदेहिता पर पर्दा डालने के लिए रटे रटाएं बहाने पेश कर खुद को लाचार पेश करने वाली स्थिति उनसे चर्चा करनें पर शब्दों को सुनकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।


बहरहाल जनसरोकार और रेत के अवैध दोहन सें गिरते भूजल स्तर, नदियों व नालों के प्राकृतिक बहाव व उनके अस्तित्व पर पड़ने वाले असर सें सीधे तौर पर इंसान ही नहीं वरन बेजुबान पशुओं की प्यास बुझाने में अहम माध्यम बतौर इन धरोहरों के संरक्षण व खनन माफिया की मनमानी से जुड़ी हर गतिवीधीयों को जनसरोकार का प्रमुख मुद्दा होने की वजह से समाचार प्रसारित कर कुंभकर्णी निद्रा में लीन अफसरों व जनप्रतिनिधियों को जगाने व ध्यानाकर्षण के लिए कड़ी दर कड़ी प्रसारित होगी।

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