संत शिरोमणि गुरु बाबा घासीदास बाबा जी सम्मान से सम्मानित होंगे राजकुमार सतनामी
जांजगीर चांपा :- आगामी 17 अप्रैल को डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर अकादमी का उद्घाटन एवं सम्मान समारोह का आयोजन कर्मफल शिक्षण समिति जोरेला पामगढ़ में किया गया है समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को इस कार्यक्रम में सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है कर्मफल शिक्षण समिति जोरेला पामगढ़ विगत 21 वर्षों से छत्तीसगढ़ ज्ञान ज्योति उच्चतर माध्यमिक विद्यालय , संत शिरोमणि गुरु घासीदास महाविद्यालय एवं कर्मफल पब्लिक स्कूल पामगढ़ के माध्यम से स्कूल एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक, शारीरिक ,मानसिक ,नैतिक व्यवसायिक एवं सर्वांगीण विकास करने में अहम भूमिका अदा करने के साथ-साथ समाज में साहित्य, कला, संगीत ,संत परंपरा ,ज्ञान -विज्ञान, समाज सेवा, शिक्षा एवं सामाजिक समरसता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रही है
संस्था के दो दशक पूर्ण होने पर समाज में साहित्य ,कला ,संगीत ,संत परंपरा ,ज्ञान -विज्ञान ,समाज सेवा, शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धि प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का संत शिरोमणि गुरु घासीदास सम्मान, डॉ भीमराव अंबेडकर सम्मान तथा ज्ञान ज्योति सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति उत्थान संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सतनामी को सम्मानित किया जाएगा आपको बताते चलें कि राजकुमार सतनामी लगभग 10 वर्षों से सतनामी समाज, समाज सेवा करते आ रहे हैं और उनके हक अधिकार के लिए लगातार लड़ाई लड़ने के लिए अपने आप को निछावर करने के लिए आगे रहा ,और सतनामी समाज के हक अधिकार दिलाने के लिए सबसे आगे रहा आपको बता दें कि राजकुमार सतनामी जी को सतनामी समाज छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ दीपक मेरी द्वारा आईटी सेल का प्रदेश महासचिव 23 साल की उम्र में बनाया गया,. 24 साल की उम्र में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति उत्थान संघ मुख्य इकाई प्रदेश अध्यक्ष उनको संस्थापक हरजीत सतनामी द्वारा बनाया गया लगातार सतनामी समाज के लिए काम करने वाले कम उम्र में समाज सेवा के रूप में कार्य करते रहे आपको बता दें कि राजकुमार सतनामी 12 पास होने के बाद लगभग 1 वर्ष से एक क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक के बच्चों को सभी सब्जेक्ट में निशुल्क कोचिंग पढ़ाते थे राजकुमार सतनामी जी का आर्थिक स्थिति खराब हो जाने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाया और समाज सेवा में लग गए समाज सेवा को अपना सबसे बड़ा पढ़ाई माना
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